ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ
(सुबह के अज़कार )
हर चीज़ से किफ़ायत का नबवी नुस्ख़ा
सूर, इख़्लास , सूर, फ़लक़, सूर, नास, तीन बार पढ़ें
सूर इख़्लास का तर्जुमा हो की वह ज़ात पाक जिसका नाम अल्लाह हे वह माबूद बर हक़ बे नियाज़ हे न किसी का बाप हे और न किसी का बेटा और कोई उसका हम सर (साथी) नहीं ।
सूर, फ़लक़
कहो की में सुबह के मालिक की पनह मांगता हूँ हर चीज़ की बुराई से जो उसने पैदा की और अँधेरी रात की बुराई से , जब उसका अंधेरा छा जाए और गनडों पर पड़ पड़ कर फूंकने वालियों की बुराई से और हसद (जलन) करने वाले की बुराई से जब जलन करने लगे
कहो की में सुबह के मालिक की पनह मांगता हूँ हर चीज़ की बुराई से जो उसने पैदा की और अँधेरी रात की बुराई से , जब उसका अंधेरा छा जाए और गनडों पर पड़ पड़ कर फूंकने वालियों की बुराई से और हसद (जलन) करने वाले की बुराई से जब जलन करने लगे
सूर, नास,
कहो कि में लोगों के परवरदिगार की पनह मांगता हूँ यानी लोगों के हक़ीक़ी बादशाह की लोगों के माबूदे बर हक़ की (शैतान) वस्वसा डालने वाले की बुराई से जो अल्लाह का नाम सुन कर पीछे हट जाता हे जो लोगों के दिलों में वस्वसा डालता हे चाहे वो जिन्नों में से हो या इंसानो में से ।
(फ़ज़ीलत)
जो शख़्स सूर इख़्लास सूर फ़लक़ और सूर नास सुबह के वक़्त तीन बार पड़ले उसकी हर चीज़ से किफ़ायत हो जायेगी
हवाला तिर्मीज़ी शरीफ़ , 3/182
अबू दाऊद , 4/508
कहो कि में लोगों के परवरदिगार की पनह मांगता हूँ यानी लोगों के हक़ीक़ी बादशाह की लोगों के माबूदे बर हक़ की (शैतान) वस्वसा डालने वाले की बुराई से जो अल्लाह का नाम सुन कर पीछे हट जाता हे जो लोगों के दिलों में वस्वसा डालता हे चाहे वो जिन्नों में से हो या इंसानो में से ।
(फ़ज़ीलत)
जो शख़्स सूर इख़्लास सूर फ़लक़ और सूर नास सुबह के वक़्त तीन बार पड़ले उसकी हर चीज़ से किफ़ायत हो जायेगी
हवाला तिर्मीज़ी शरीफ़ , 3/182
अबू दाऊद , 4/508
(शाम के अज़कार)
अल्लह की हिफ़ाज़त में आने और शैतान से दूर होने का नबवी नुस्क़ा
आयतल कुर्सी एक बार पढ़ें
आयतल कुर्सी का तर्जुमा
अल्लाह सच्चा माबूद हे की उसके सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं ज़िंदा हमेशा रहने वाला उसे न ऊंघ आती हे और न नींद जो कुछ आसमानों में और जो कुछ ज़मीन में हे सब अल्लाह ही का हे कौन हे की उसकी इजाज़त के बगैर उससे किसी की सिफ़ारिश कर सके जो कुछ लोगों के सामने हो रहा हे और जो कुछ उनके पीछे हो चुका हे उसे सब मालुम हे और वे उसकी मालूमात में से किसी चीज़ पर काबू पाना हासिल नहीं कर सकते हाँ जिस क़दर वह चाहता हे उसी तरहां मालुम करा देता हे उसकी बादशाही और इल्म आसमान और ज़मीन सब पर हावी हे और उसे उनकी हिफ़ाज़त कुछ भी मुश्किल नहीं वह बड़ा आली रूतबा और जलीलुल क़द्र हे
फ़ज़ीलत
जो शख़्स रात के वक़्त आयतल कुर्सी पड़ले वह अल्लाह तआला की हिफ़ाज़त में आ जाता हे और शैतान सुबह तक उसके क़रीब भी नहीं होता
हवाला बुख़ारी शरीफ़ , 4/487
जो शख़्स रात के वक़्त आयतल कुर्सी पड़ले वह अल्लाह तआला की हिफ़ाज़त में आ जाता हे और शैतान सुबह तक उसके क़रीब भी नहीं होता
हवाला बुख़ारी शरीफ़ , 4/487
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