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Tuesday 24 March 2015

Hazrat ibrahim bin adham in hindi

हजरत इब्राहीम इब्ने अदहम रहमतुल्लाह अलैह बलख के बादशाह थे बहुत बडी आपकी हुकुमत थी जिन्होने राहे खुदा मे दुनियावी सल्तनत छोड दी आप एक दिन दरिया किनारे बैठै अपने हाथ अपना पैरहन सी रहे थे
कि वहा  एक आदमी गुजरा उस आदमी ने इस हाल मे देखा तो दिल मे कहा कि उन्होने सल्तनत छोडकर इस फकीरी मे क्या हासिल किया हजरत को रौशन हो गया और आपने झट वह सुई दरिया मे डाल दीऔर फिर
बाआवाज बुलंद फरमाया कि ऐ दरिया की मछलियो मुझे मेरी सुई वापस लाओ उस अमीर ने देखा की हजारो मछलिया अपने मुह मे सोने की सुई पकडे हुए दरिया के बाहर निकल आयी आपने फरमाया मुझे मेरी सुई चाहिए चुनाचे एक छोटी सी मछली आपकी सुई पकडे हुए लायी अब आपन उस आदमी की तरफ मुतवज्जह होकर फरमाया कि बताओ वह हुकूमत अच्छी है या यह हुकूमत
सबक
अल्लाह वाले दिल के ख्याल को भी जान लेते है और उनकी हुकुमत दरियाओ और मछलियो पर भी हो जाती हैऐश और इशरत की जिन्दगी के साथ खुदा को पा लेने का ख्याल गलत है
ग़रीब नवाज़(rahmatullahi alaihe) एकबारअपने मुरीदों के साथ सफकर रहे थे।आप का गुज़र एक जंगल सेहुआ।वहाँ आतिश परस्तों (आगपूजने वालों )का एक गिरोह आगकी पूजा कररहा था।उन की रियाज़त(बर्दाश्त करने की क़ुव्वत)इस क़दरबड़ी हुई थी कि छ: छ:महीने तक बगैरखाये पिए रहते थे।अक्सर उन की सख्तरियाज़त से लोगइस क़दर प्रभावित होतेकि उन सेअक़ीदत रखने लगते।उन की इस हरकत से लोगगुमराहहो जाते थे।हज़रत ख़्वाजा साहब(rahmatullahi alaihe) नेजबउनकी यह हालतदेखी तो उन से पूछा -
"ए गुमराहो !ख़ुदा को छोड़कर आगकी पूजा क्यो करतेहो....?उन्होने कहा -"आग को हमइसलिए पूजतेहैं कि यह हमें दोज़ख मेंतकलीफ नपहुँचाए।"हज़रत गरीब नवाज़ (र0 अ0)नेफरमाया - "यहतरीका दोज़ख़ सेछुटकारे का नही है।जब तक खुदा की इबादतनही करोगे ,दोज़ख़ सेछुटकारा नहीं पाओगे।तुम लोग आग को इतने दिनसे पूज रहेहो,ज़रा इसको हाथ में लेकर    देखो तो मालूमहोगा कि आग पूजनेका क्या फायदा है।उन्होने जवाब दिया बेशकये हमको जला देगी।क्योंकि आग का कामही जला देनेका है।मगर हम को यह कैसे यक़ीनहो कि ख़ुदा की इबादतकरनेवालों को आग नजला सकेगी..?अगर आप आग को हाथ मेंउठा लेंतो हमको यक़ीनहो जायेगा।सरकार ग़रीब नवाज़ (र0अ0) ने जोश मेआकर फरमाया - "मुझको तो क्या,ख़ुदा के बन्दे मुईनुद्दीनकी जूतियों तकको आनहीं जला सकती । "आप ने उसी दमअपनी जूतियाँ आग केअलाव में डालते हुएआग की तरफ इशारा करकेफरमाया - "ए आग ! अगर येजूतियाँ ख़ुदा केकिसी मक़बूल बन्दे की हैंइनको ज़रा भीआँचनआये।"जूतियों का आग मेंपहुँचना था कि तुरन्त आगबुझ गयीऔर जूतियाँ एकदमसही सलामतही रहींइस करामत को देखकर आगपूजने वालों को हैरतकी इंतेहा नरहीफिर खुद से उन लोगो ने हजरतकेहाथ परकलमा पढ़ा औरमुसलमान हो गये ।-सुब्हानल्लाह ।
एक नौजवान विदेश से पड़ाई करके एक लम्बे वक्त केबाद घर लौटा और उसने अपने माँ बाप से
किसी ऐसे धार्मिक शख्स को खोजने के लिएकहा जो उसके तीन सवालों का जवाब दे सके ।उसके बाप ने एक मुसलमान आलिम को बुलाया औरउसके सवालों के जबाब देने की दरख्वास्त कीनौजवान आलिम से: आप कौन होआलिम : मैं सबसे पहले अल्लाह का बन्दा हूँ फिरमुसलमान हूँनौजवान: क्या आप यकीन रखते हैं की मेरेसवालों का जवाब आप दे सकेंगे जबकि आज तककोई मेरे सवालों का तसल्लीबख्श जवाब नही देसका हैआलिम: अल्लाह ने चाहा तो मैं पूरी कोशिकरूंगा
नौजवान ने कहा मेरे तीन सवाल है ये
1.क्या अल्लाह का वुजूद है ? अगर हैतो उसकी बनावट या चेहरा कैसा है ?
2.तक़दीर क्या है?
3.अगर शैतान आग से बना हुआ है और आखिर मेंउसको जहन्नुम में फेंका जाएगा जो की आग से
बनी हुई है फिर तो यकीनन जहन्नुम उसको नुक्साननही पहुंचा सकेगी क्युकी दोनों ही आग से बने हुए
हैं क्या अल्लाह ने इस बारे में पहलेनही सोचा था?
सवाल सुनते ही गुस्से में आलिम ने नौजवान के चेहरेपर ज़ोरदार थप्पड़ रसीद कर दिया
नौजवान (अपने हाथ को गाल पर रख दर्द महसूसकरते हुए) : आप मुझ पर गुस्सा क्यों हो रहे हैं
जबकि आपको बुलाया ही मेरे सवालों के जवाबदेने के लिय थाआलिम: मै गुस्सा नही हुआ बल्कि ये थप्पड़तुम्हारेतीनो सवाल का जवाब हैनौजवान:मैं कुछ समझा नहीआलिम:थप्पड़ खाने के बाद तुमने क्या महसूसकियानौजवान: मुझे दर्द महसूस हुआआलिम:यानी तुमे यकीन है की दर्द का वुजूद है
नौजवान: हाँ बिलकुलआलिम: क्या तुम दर्द का चेहरा या उसकी बनावट देख सकते होनौजवान: नही
आलिम : ये मेरा पहले सवाल का जवाब है हम सबखुदा की मौजूदगी को सिर्फ महसूस कर सकते हैंबिना उसके चेहरे या बनावट को देखेक्या तुमने रात में ख्वाब में देखा था की मैं तुम्हेथप्पड़ मारूंगानौजवान: नहीआलिम: क्या तुमने सोचा था की अभी मै तुम्हेथप्पड़ मारूंगानौजावान : नही
आलिम: ये तकदीर हैऔर जिस हाथ से मैंने तुम्हे थप्पड़ मारा वो किचीज़ का बना हैनौजवान: मांस ( गोश्त )का
आलिम: और तुम्हारा गाल किस चीज़का बना हुआ हैनौजवान: वो भी मांस यानी गोश्त का बना हैआलिम:जब थप्पड़ पड़ा तो तुमने क्या महसूस कियानौजवान: दर्दआलिम:इसी तरह शैतान और जहन्नुम दोनों आग केबने हुए हैं और (अल्लाह ने चाहा तो) जहन्नुम शैतान
लिए और ज्यादा दर्दनाक जगह होगी !!
~मत लड़ो आपस में नहीं तो बिखर जाओगे~
~मौत आने से पहले ही खुद की नज़रों में मर जाओगे~
~हो मुसलमान तो मिसाल बन कर उभरो दुनिया के लिए~
~नहीं तो इतिहास के चंद पन्नो में सिमट जाओगे।~
     ~हिफाज़त करो ईमान की~
~इबादत करो रहमान की~
   ~तिलावत करो कुरआन की~ ~पुकार सुनो अज़ान की~
~क्योकि नमाज शान है मुसलमान की।~ 
प्यार करना उसका उसूल है ,दुनिया की मोह्ब्बत फिजूल है ,
मां की हर दुआ कबूल है ,मां को नाराज करना इंसान तेरी भूल है ,मां के कदमो की मिट्टी जन्नत की धूल है ,
अगर अपनी मां से है प्यार तोअपने सभी दोस्तो को सेन्ड करे वरना ,ये मेसेज आपके लिये फिजूल है.             खुदा तो रिज़क देता है कीड़ो को पत्थर में। तू क्यों परेशान है हीरे मोती के चक्कर में ।
उड़ा जा आसमान में या लगा गोता समन्दर में । तुझे उतना ही मिलेगा जितना है तेरे मुकद्दर में ।।....अपनी अंधेरी कब्र को खुद ही रोशन करने की तय्यारी करलेए इंसानआज जिन्दो से कोई वफा नही करताकल मुर्दो के लिए कोन दुआ करेगाहमे गुरुर ओ फकर है अपने मज़हब पर औरमुसलमान होने परऐ खुदा हम दुआ करते है हमेँ ज़िँदा रख तो ईमानपर और मौत देँ तो ईस्लाम परआईना कुछ ऐसा बना देए खुदा ,जो चेहरा नहीं नीयत दिखा देकदर करनी है, तो जीते जी करो,  जनाजा उठाते वक्त तो नफरतकरने वाले भी रो पड़ते है ।जिन आँखों को सजदे में....,रोने की आदत हो........,वो आँखें कभी अपने.....,मुक्कदर पर रोया नहीं करती.......,कमाई तो जनाज़े के दिन पता चलेगी..दौलत तो कोई भी कमा लैता हे……

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